तूने अता किया था इसलिए गले लगा लिया,
वरना दर्द जैसी चीज़ किसे होती अज़ीज़ है !
Category: दर्द शायरी
मिस्ल-ए-परवाना
मिस्ल-ए-परवाना फ़िदा हर एक का दिल हो गया,
यार जिस महफ़िल में बैठा शम-ए-महफ़िल हो गया ।।
लफ़्ज़ों की शर्मिंदगी
लफ़्ज़ों की शर्मिंदगी देखने वाली थी !!
खत में मुझे उसने बोसे भेजे थे !!
लजा कर शर्म
लजा कर शर्म खा कर मुस्कुरा कर
दिया बोसा मगर मुँह को बना कर|
मयखाने की इज्जत
मयखाने की इज्जत का सवाल था,
बाहर निकले तो हम भी थोडा लड़खड़ा के चल दिए….
बदल जाते हैं
बदल जाते हैं वो लोग वक्त की तरह;
जिन्हें हद से ज्यादा वक्त दिया जाता है!
कभी किसी के चेहरे को
कभी किसी के चेहरे को मत देखो बल्कि उसके दिल को देखो,
क्योंकि अगर “सफेद” रंग में वफा होती तो “नमक” जख्मों की दवा होती “.!
कुछ मीठा सा
कुछ मीठा सा नशा था उसकी झुठी बातों में;
वक्त गुज़रता गया और हम आदी हो गये!
ना ढूंढ मेरा
ना ढूंढ मेरा किरदार दुनिया के हुजूम में, वफ़ादार तो हमेशा तनहा ही मिलते हैँ…
ख़ामोश रह कर
ख़ामोश रह कर सजा काटते रहे हम। कसूर इतना था कि बे-कसूर थे हम..!!