तुमने तो फिर भी सीख लिया नसीहतें देना..
हम कुछ न कर सके, मोहब्बत के सिवा.. !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुमने तो फिर भी सीख लिया नसीहतें देना..
हम कुछ न कर सके, मोहब्बत के सिवा.. !!
तोड़ कर जोड़ ले चाहे कोई भी चीज़ दुनिया की,
हर चीज़ काबिले-मरम्मत है एतबार के सिवा!!!
खामोशियाँ यूँ ही बेवजह नहीं होतीं…
कुछ दर्द भी आवाज़ छीन लिया करते हैं…
शमा भी जल कर बुझ गई रात ढ़ले ,
फिर भी सोच रहे मोहब्बत क्या है|
जो जहर हलाहल है वो ही अमृत है नादान, मालूम नही तुझको अंदाज है पीने के ।
वो जो चेहरे पे लिखी दास्तान ना पढ़पाया,फ़ायदा नहीं कुछ उसको हाल-ए-दिल सुनाने का |
सोचता हूँ धोखे से जहर दे दूँ, सारी ख्वाहिशो को दावत पे बुला कर।।
सुनो ! तुम एक बार पुछ लो की कैसा हुँ,
घर में पडी सारी दवाइयाँ फेंक ना दू तो कहना..
हमने उसको वहाँ भी जाकर माँगा था,जहाँ लोग सिर्फ अपनी खुशियां मांगते है|
मौजों ने सहारा दिया है कभी-कभी
तूफां में किनारा मिला है कभी-कभी
दिल खुद से बेनियाज़ रहा
तेरी याद में
ऐसा भी वक्त़ हमने
गुजारा है कभी-कभी
दिल में भड़क उठी है
ग़म-ए-बेकसी की आग
भड़का है आरजू का
गगरा कभी-कभी
एक बेवफा की याद में
नक्शे ज़हन पर
धुंधला सा एक नक्श
उभरा है कभी-कभी|