चल उस मोड़ से शुरू करें फिर से जिंदगी…
हर लम्हा जहाँ हसीन था और हम-तुम थे अजनबी…!
Category: जिंदगी शायरी
इक मुद्दत से किसी ने दस्तक नहीं दी है
इक मुद्दत से किसी ने दस्तक नहीं दी है ।
मैं उसके शहर में बंद मकान की तरह हूँ ।।
धन से बेशक गरीब रहो
धन से बेशक गरीब रहो, पर दिल से रहना धनवान।।
अक्सर झोपडी पे लिखा होता है “सुस्वागतम्” और
महल वाले लिखते है “कुत्तो से सावधान”।।
अगर मुझ से नफरत ही करनी है तो ऐसी दुआ कर
अगर मुझ से नफरत ही करनी है तो ऐसी दुआ कर….
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कि तेरी दुआ भी पूरी हो जाए और मेरी जिँदगी भी…..
मुठ्ठी बंद किये बैठा हूँ
मुठ्ठी बंद किये बैठा हूँ, कोई देख न ले
चाँद पकड़ने घर से निकलूँ , जुगनू हाथ लगे
सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम
सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम,
जीने के बावजूद भी, मर जाते हैं कुछ लोग !!
भले ही मैं अपने पिताजी की कुर्सी पर बेठ जाता हूँ
भले ही मैं अपने पिताजी की कुर्सी पर बेठ जाता हूँ ,
पर आज भी अनुभव के मामले मे मैं उनके घुटनो तक ही आता हूँ ।
रोने से किसी को पाया नहीं जाता
रोने से किसी को पाया नहीं जाता,
खोने से किसी को भुलाया नहीं जाता,
वक्त सबको मिलता है ज़िंदगी बदलने के लिए,
पर ज़िंदगी नहीं मिलती वक्त बदलने के लिए !!
अच्छा दोस्त जिंदगी को जन्नत बनाता है
अच्छा दोस्त जिंदगी को जन्नत बनाता है.
इसलिए मेरी कद्र किया करो
वर्ना फिर कहते फिरोगे बहती हवा सा था वो;
यार हमारा वो; कहाँ गया उसे ढूढों!
जिन्दा रहो जब तक
जिन्दा रहो जब तक ,लोग कमियां ही निकालते हैं ,
मरने के बाद जाने कहाँ से इतनी अच्छाइयां ढूंढ लाते है