by pyarishayri - July 12, 2017इतनी मतलबी हो गई हैंइतनी मतलबी हो गई हैं आँखें मेरी, कि तेरे दीदार के बिना दुनिया अच्छी नहीं लगती..!!!
by pyarishayri - July 12, 2017हिचकियों से एक बात काहिचकियों से एक बात का पता चलता है कि कोई हमें याद तो करता है, बात न करे तो क्या हुआ कोई आज भी हम पर कुछ लम्हें बरबाद तो करता है…
by pyarishayri - July 11, 2017कभी तो मेरी ख़ामोशी काकभी तो मेरी ख़ामोशी का मतलब खुद समझ लो….!कब तक वजह पूछोगे अंजानो की
by pyarishayri - July 11, 2017जिंदगी अब नहीं संवरेगीजिंदगी अब नहीं संवरेगी शायद..तजुर्बेकार था.. उजाड़ने वाला…
by pyarishayri - July 11, 2017पेड़ भूडा ही सहीपेड़ भूडा ही सही घर मे लगा रहने दो, फल ना सही छाँव तो देगा
by pyarishayri - July 11, 2017उसे जाने को जल्दी थीउसे जाने को जल्दी थी सो मैं आँखों ही आँखों में, जहां तक छोड़ सकता था वहाँ तक छोड़ आया हूँ…
by pyarishayri - July 11, 2017सन्नाटा छा गयासन्नाटा छा गया बँटवारे के किस्से में,जब माँ ने पूँछा- मैं हूँ किसके हिस्से में
by pyarishayri - July 11, 2017जहाँ आपको लगे किजहाँ आपको लगे कि आपकी जरूरत नही है.. वहां ख़ामोशी से खुद को अलग कर लेना चाहिए!!
by pyarishayri - July 11, 2017यूँ तो ए-ज़िन्दगीयूँ तो ए-ज़िन्दगी, तेरे सफर से शिकायते बहुत थी, मगर “दर्द” जब “दर्ज” कराने पहुँचे तो “कतारे” बहुत थी।
by pyarishayri - July 11, 2017दिलों में रहता हूँदिलों में रहता हूँ धड़कने थमा देता हूँ मैं इश्क़ हूँ, वजूद की धज्जियां उड़ा देता हूँ