गम से छूटकर यह गम है मुझको
कि क्यू गम से निजात हो गयी|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
गम से छूटकर यह गम है मुझको
कि क्यू गम से निजात हो गयी|
ये कह-कह के हम दिल को बहला रहे हैं
वो अब चल चुके हैं वो अब आ रहे हैं !!
मेरी बेकरारी देखी है ,अब सब्र भी देख,,
मैं इतना खामोश हो जाऊँगा तू चिल्ला उठेगी..!
मेरे दिल और दिमाग लड़ते है आपस में दो मुल्को की तरह तेरे लिये…
इसमें तुम्हारा भी दोष नही,तुम हो ही कश्मीर सी सुन्दर..!!
काफी नही फ़क़ीरी में दुनिया को छोड़ना, कुछ आपका मिजाज भी ‘रूहानी’ होना चाहिए..
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते है…
चार आने सांस,बारह आने एहसास,एक रूपया जिंदगी|
इतनी मजबूती से इस वीराने के दर बंद हुऐ,
दिल में उतरी ना कोई ज़ात, तेरी ज़ात के बाद !
याद कर लेना मुझे तुम,
कोई भी जब पास न हो !
चले आएंगे इक आवाज़ में,
भले हम ख़ास न हों..!!
कौन समझ पाया हे आज तक हमे….????
हम अपने हादशो के इकलौते गवाह है.!!