प्रशंसा चाहे कितनी भी करो

प्रशंसा चाहे कितनी भी करो
किन्तु अपमान बहुत सोच समझकर करना चाहिये
क्योंकि अपमान वो ऋण है
जो हर कोई अवसर मिलने पर ब्याज सहित चुकाता अवश्य है।

वो शख़्स जो

वो शख़्स जो आज मुहब्बत के नाम से बौखला गया….

किसी जमाने में एक मशहूर आशिक़ हुआ करता था….

ना किया कर

ना किया कर अपने दर्द को शायरी में बयान ऐ दिल…..
कुछ लोग टूट जाते हैं इसे अपनी दास्तान समझकर…….