मत कर हिसाब तू मेरी मोहब्बत का.
वरना..
ब्याज में ही तेरी जिन्दगी गुजर जाएगी.
Category: गुस्ताखियां शायरी
दुआ जो लिखते हैं
दुआ जो लिखते हैं उसको दग़ा समझता है
वफ़ा के लफ्ज़ को भी वो जफ़ा समझता है
बिखर तो जाऊं गा मैं टूट कर,झुकूँ गा नहीं
ये बात अच्छी तरह बेवफा समझता है|
उस टूटे झोपड़े में
उस टूटे झोपड़े में बरसा है झुम के
भेजा ये कैसा मेरे खुदा सिहाब जोड़ के
सिर्फ अपना ही
मोहब्बत तो सिर्फ शब्द है..
इसका अहसास तुम हो..
शब्द तो सिर्फ नुमाइश है..
जज्ब़ात तो मेरे तुम हो..
यूँ उतरेगी न गले से
यूँ उतरेगी न गले से ज़रा पानी तो ला,
चखने में कोई मरी हुई कहानी तो ला!
वो अच्छे हैं
वो अच्छे हैं तो बेहत्तर, बुरे हैं तो भी कुबूल।
मिजाज़-ए-इश्क में, ऐब-ए-हुनर नहीं देखे जाते|
तबाह करके चैन
तबाह करके चैन उसे भी कहाँ होगा..
बुझाकर हमे वो खुद भी धुआं धुआं होगा..
जुबां वाले भी
जुबां वाले भी आखिर गूंगे बने हुए हैं,
जिन्दा रहेंगे कब तक, मुर्दा जमीर लेकर।
मैं ख़ुद को
मैं ख़ुद को भूलता जाता हूँ और ऐसे में
तिरा पुकारते रहना बड़ा ज़रूरी है|
मुझे मशहुर कर दिया
अहसान रहा इलज़ाम लगाने वालो का मुझ पर
उठती ऊँगलियो ने जहाँ मे मुझे मशहुर कर दिया |