झ़ुठा अपनापन तो

झ़ुठा अपनापन तो हर कोई जताता है…

वो अपना ही क्या जो हरपल सताता है…

यकीन न करना हर किसी पे..

क्यू की करीब है कितना कोई ये तो वक़्त ही बताता है…

इक तरफ़ आस के

इक तरफ़ आस के कुछ दिए जल उठे
इक तरफ़ मन विदा गीत गाने को है
प्रिय इस जन्म भी कुछ पता न चला
प्यार आता है या सिर्फ़ जाने को है