झ़ुठा अपनापन तो हर कोई जताता है…
वो अपना ही क्या जो हरपल सताता है…
यकीन न करना हर किसी पे..
क्यू की करीब है कितना कोई ये तो वक़्त ही बताता है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
झ़ुठा अपनापन तो हर कोई जताता है…
वो अपना ही क्या जो हरपल सताता है…
यकीन न करना हर किसी पे..
क्यू की करीब है कितना कोई ये तो वक़्त ही बताता है…
इक तरफ़ आस के कुछ दिए जल उठे
इक तरफ़ मन विदा गीत गाने को है
प्रिय इस जन्म भी कुछ पता न चला
प्यार आता है या सिर्फ़ जाने को है
ज़रा मुस्कुराना भी सिखा दे ऐ ज़िंदगी,
रोना तो पैदा होते ही सीख लिया था!
अब ना मैं वो हूँ, न बाकी हैं जमाने मेरे….
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फसाने मेरे…!
ये ज़िन्दगी हमारी,कब हमारी रही,
कुछ रिश्तो में बटी ,कुछ किस्तों में
ये डूबने वाले का ही होता हे कोई फन;
आँखों में किसी के भी समंदर नहीं होता!
कोई और तरीक़ा बताओ जीने का,
साँसे ले ले कर थक गया हूँ !!
कुछ दिन तो तेरी यादें वापस ले ले..
‘पगली’
मैं कई दिनों से सोया नहीं….!!
सो जाओ यारो…
जब दिन मे याद नहीं आयी तो अब क्या याद आएगी..
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया,
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है।।