डूब सी गई है गुनाहो में मेरी जिंदगी या रब कर दे रहमत मुझ पे भी … कही गुनहगार ही ना मर जाऊ ।
Category: गरूर शायरी
सिलसिला ये चाहत का
सिलसिला ये चाहत का.… दोनों तरफ से था , वो मेरी जान चाहते थे, और मै जान से ज्यादा उन्हें … !!
हमारी साबुत रहे…
ताकि ज़िन्दगी हमारी साबुत रहे…
सरहदों से आते ताबूत रहे !!!
मेरी लबों पे
मेरी लबों पे सजी मुस्कुराहट हो तुम ,
मेरी आँखों मे सजती ख्वाइश हो तुम …
अजब जुनून है
अजब जुनून है इबादत का तेरी दहलीज पार नहीं होती …
मुद्दत हो गयी
मुद्दत हो गयी, कोइ शख्स तो अब ऐसा मिले…!!!
बाहर से जो दिखता हो, अन्दर भी वैसा ही मिले…
ज़माने पर भरोसा
ज़माने पर भरोसा करने वालों..भरोसे का ज़माना जा रहा है..!
जी भरकर बदनाम हो
जी भरकर बदनाम हो गए हम,
चलो जवानी का हक़ तो अदा हो गया !!
सब कुछ तो
सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें,
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता…
रूह की तलब हो
रूह की तलब हो तुम नहीं रहा जाता तुम बिन…!
इसलिए लौट आती हूँ…!