इस मुक़द्दर की

इस मुक़द्दर की सिर्फ़ मुझसे ही अदावत क्यूँ हैं…
गर मुहब्बत है तो मुझे तुझसे ही मुहब्बत क्यूँ है…

तुम मुझ पर

तुम मुझ पर लगाओ मैं तुम पर लगाता हूँ,
ये ज़ख्म मरहम से नही इल्ज़ामों से भर जायेंगे..

वो शख़्स जो

वो शख़्स जो आज मुहब्बत के नाम से बौखला गया….

किसी जमाने में एक मशहूर आशिक़ हुआ करता था….