माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती…
यहाँ आदमी आदमी से जलता है…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती…
यहाँ आदमी आदमी से जलता है…!!
हम ईंट-ईंट को दौलत से लाल कर देते,
अगर ज़मीर की चिड़िया हलाल कर देते।
किसी भी पेड़ के कटने का आज क़िस्सा न होता,
अगर कुल्हाड़ी के पीछे लकड़ी का हिस्सा न होता…!!
जनाब मत पूछिये हद हमारी गुस्ताकियो की…
हम आईना जमी पर रखकर आसंमा कुचल देते है
हजारों चेहरों में,एक तुम ही थे जिस पर हम मर मिटे वरना..
ना चाहतों की कमी थी,और ना चाहने वालों की…!!
औकात क्या है तेरी, “ए जिँदगी”
चार दिन कि मुहोब्बत
तुझे तबाह कर देती है…..iii
हम भी फूलों की तरह कितने बेबस है,
कभी खुद टूट जाते हैं तो कभी लोग तोड ले जाते हैं…!!!
हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये ,
जो मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं, मेरी बुराई ना सुन सके !!
देश कुछ इस तरह भी बदलने लगा है कि….
लोग गाय चराने में “शर्म”और…
कुत्ता घुमाने में “गर्व”करने लगे हैं…!!
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है,
जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये,
ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,
सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये !