यह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी की इन्तहां.!
कि तेरे ही क़रीब से गुज़र गए तेरे ही ख़्याल में.
Author: pyarishayri
देखा आज मैने रास्ते पर
देखा आज मैने
रास्ते पर बिखरा हुआ
सुख जो दौलत का था
दुख जो औरत का था
रास्ते पर खड़ी हुई
सोचती ये रह गई
किस कदर गिर गया
इंसान जो कुदरत का था
बड़ा फर्क है तेरी और मेरी मोहब्बत में
“बड़ा फर्क है तेरी और मेरी मोहब्बत में……
तू परखता रहा……
और हमने ज़िंदगी यकीन में गुजार दी…!”
ये झूठ है…
ये झूठ है…
के मुहब्बत किसी का दिल तोड़ती है ,
लोग खुद ही टुट जाते है,,,
मुहब्बत करते-करते…..
रिश्ता
?” रिश्ता “?
कई लोगों से होता है , मगर …
कोई प्यार से निभाता है तो …
कोई नफरत से निभाता है ..
दर्द
?” दर्द “?
सभी इंसानो मे है
मगर …
कोई दिखाता है तो …
कोई छुपाता है …..
हमसफर
?” हमसफर “?
सभी है मगर …
कोई साथ देता है तो …
कोई छोड देता है …..
बेवजह मिलना ए दोस्त
कभी मिल सको तो पंछीयो की
तरह बेवजह मिलना ए दोस्त,
वजह से मिलने वाले तो न जाने
हर रोज कितने मिलते है ।
प्यार सभी करते है मगर
?” प्यार “?
सभी करते है मगर …
कोई दिल से करता है तो …
कोई दिमाग सें करता है
वो माँ ही है
रुके तो चाँद जैसी है, चले तो हवाओं जैसी है,
वो माँ ही है, जो धूप में भी छाँव जैसी है….?