दबे होंठों को बनाया है सहारा अपना….
सुना है कम बोलने से बहुतकुछ सुलझ जाता है….???
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दबे होंठों को बनाया है सहारा अपना….
सुना है कम बोलने से बहुतकुछ सुलझ जाता है….???
जिन्दगी में मंजिले तो मिल ही जाती हैं ,बस वो लोग नहीं मिलते जिन्हें इस दिल ने चाहा हो .
तेरी मुहब्बत पर मेरा हक तो नही पर दिल चाहता है, आखरी सास तक तेरा इंतजार करू !
फ़िक्र तो तेरी आज भी करते हैं ,बस जिक्र करने का हक़ नही रहा.
उससे दुरी बनाये रखता भी तो कैसे रखता,
ए दोस्त…
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मैं जन्मजात चरसी और वो, गोल्डफ्लैक
सी लड़की.
बड़ा ही खामोश सा अँदाज है तुम्हारा…..
?
समझ नही आता फिदा हो जाऊँ या फनाह हो जाऊँ…..
~❤?
देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना, नफरत बता रही है तूने मोहब्बत गज़ब की थी.
पहेले लोग बाल्कनी में आने की राह देखते थे, अब ” on line ” आने की देखते है ? !! रिश्ता वही सोच नई
दर्द रगड़ना पड़ता है चिंगारी होने तक,
एक शायर टूट जाता है शायरी होने तक..
आख़िर तुम भी उस आइने की तरह ही निकले, जो भी सामने आया तुम उसी के हो गए.