हजारों हैं मेरे अल्फाज के दिवाने,
मेरी खामोशी सुनने वाला कोई होता तो क्या बात थी….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हजारों हैं मेरे अल्फाज के दिवाने,
मेरी खामोशी सुनने वाला कोई होता तो क्या बात थी….
मुझे बस इतना बता दो. इंतजार करु या बदल जाऊ तुम्हारी तरह.
उसी से पुछ लो उसके इश्क़ की कीमत ,हम तो बस भरोसे पे बिक गए.
ये मत सोचो तुम छोङ दोगे तो हम मर जायेँगे ,वो भी जी रहे है जिनको तेरी खातिर हमने छोङा था .
तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .
हमने गुज़रे हुए लम्हों का हवाला जो दिया,हँस के वो कहने लगे रात गई बात गई.
ना रख उम्मीद-ए-वफ़ा किसी परिंदे से,जब पर निकल आते हैं तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं.
वो अक्सर देता है मुझे , परिंदों की मिसाल .साफ़ नहीं कहता के , मेरा शहर छोड़ जाओ.
जाते हुए उसने सिर्फ इतना कहा मुझसे..ओ पागल …अपनी ज़िंदगी जी लेना,वैसे प्यार अच्छा करते हो.
हमारी कद्र उनको होगी तन्हाईयो में एक दिन, अभी तो बहुत लोग हैं उनके पास दिल्लगी करने को.