नीलाम
कुछ इस कदर हुए,
बाज़ार-ए-वफ़ा में हम आज..
बोली लगाने वाले
भी वो ही थे,
जो कभी झोली फैला कर माँगा करते थे..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
नीलाम
कुछ इस कदर हुए,
बाज़ार-ए-वफ़ा में हम आज..
बोली लगाने वाले
भी वो ही थे,
जो कभी झोली फैला कर माँगा करते थे..