बाज़ार-ए-वफ़ा

नीलाम

कुछ इस कदर हुए,
बाज़ार-ए-वफ़ा में हम आज..
बोली लगाने वाले

भी वो ही थे,
जो कभी झोली फैला कर माँगा करते थे..

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