कोई ख़ुशबू नहीं, साया नहीं, यादें नहीं पीछे,
मगर आहट किसी की है…कि मुड़कर देख लेता हूं…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कोई ख़ुशबू नहीं, साया नहीं, यादें नहीं पीछे,
मगर आहट किसी की है…कि मुड़कर देख लेता हूं…!!