हम को टालने का शायद तुम को सलीक़ा आ गया है
बात करते तो हो लेकिन , अब तुम अपने नहीं लगते |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हम को टालने का शायद तुम को सलीक़ा आ गया है
बात करते तो हो लेकिन , अब तुम अपने नहीं लगते |