by pyarishayri - जिंदगी शायरी, दर्द शायरी, हिंदी शायरी - July 1, 2015 अंदर ही अंदर टूट जाते है घर अंदर ही अंदर टूट जाते है घर, मकान खड़े के खड़े रह जाते है बेशर्मों की तरह…!!!