है अजीब शहर की ज़िन्दगी.. न सफर रहा न कयाम है
कहीं कारोबार सी दोपहर ,कहीं बदमिजाज सी शाम है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
है अजीब शहर की ज़िन्दगी.. न सफर रहा न कयाम है
कहीं कारोबार सी दोपहर ,कहीं बदमिजाज सी शाम है|