by pyarishayri - Facebook Status, Urdu Shayri, Whatsapp Shayri, व्यंग्य शायरी, व्हाट्सप्प स्टेटस, शर्म शायरी, हिंदी शायरी - January 13, 2017 शाम ढलने के लिए शाम ढलने के लिए रोज सुबह सजते है , वक्त की मेज पे हम दर्द के गुलदस्ते है|