मुहब्बत की जुबान

मुहब्बत की जुबान

यहां तक आये हो कुछ ज़ुबान से कह दो
लफ्ज़ मुहब्बत नहीं कह सकते सलाम तो कह दो

पलकें तो उठाओ अपनी इतनी भी हया कैसी
ज़ुबान से नहीं कुछ कहते निगाह से ही कह दो

दिल को यकीन आये कहदो आप हमारे हो
अपने लिखे खतों का जवाब साथ लाए हो|

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *