अपनी पीठ से निकले खंजरों को गिना जब मैंने,,
ठीक उतने ही थे जितनों को गले लगाया था मैंने
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अपनी पीठ से निकले खंजरों को गिना जब मैंने,,
ठीक उतने ही थे जितनों को गले लगाया था मैंने