मेरे लहजे में जी हुजूर ना था
इसके अलावा मेरा कोई कुसूर ना था
अगर पलभर को भी में बे-जमीर हो जाता
यकीन मानिये कब का वजीर हो जाता” !!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरे लहजे में जी हुजूर ना था
इसके अलावा मेरा कोई कुसूर ना था
अगर पलभर को भी में बे-जमीर हो जाता
यकीन मानिये कब का वजीर हो जाता” !!!