पोंछ लो अपने बहते हुए आँसुओ को ऐ दोस्त..भला
कौन रहना पँसद करता है, टपकते हुए मकानो मे.!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
पोंछ लो अपने बहते हुए आँसुओ को ऐ दोस्त..भला
कौन रहना पँसद करता है, टपकते हुए मकानो मे.!!